जब दो या अधिक पक्ष किसी लड़ाई में हथियार नहीं, बल्कि विचार, भावनाओं और धारणाओं को इस्तेमाल करते हैं, तो उसे साइकॉलॉजिकल युद्ध कहते हैं। इसका मकसद सामने वाले की सोच बदलना, डर पैदा करना या भरोसा जीतना होता है। अक्सर सरकारें, पार्टी, या यहाँ तक कि कंपनियां भी इस तरीका अपनाती हैं क्योंकि इससे लागत कम रहती है और असर तेज़ी से फैलता है।
हाल में भारत‑चीन बातचीत में देखा गया, जहाँ दोनों देशों ने सीमा, आतंकवाद और ब्रह्मपुत्र मुद्दों पर कड़ी बातें कीं। चीन की विदेश मंत्री वांग यी ने सीमाओं पर स्पष्ट बयान दिया, जबकि भारत ने शांति का संदेश देते हुए दृढ़ रुख दिखाया। इस तरह के बयानों से जनता में राष्ट्रीय भावना तेज़ होती है और दुश्मन को दबाव महसूस होता है।
एक और उदाहरण है पाकिस्तान‑भारत खेलों की टकरावें। जब क्रिकेट या हॉकी में जीत-हार होती है, तो सोशल मीडिया पर भावनात्मक पोस्ट्स बढ़ जाती हैं – ‘हमारा देश सबसे अच्छा’, ‘विपक्षी ने धोखा दिया’ जैसी बातें लोगों को टीम के पक्ष में खड़ा कर देती हैं। ये छोटे‑छोटे संदेश बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय भावना बनाते हैं और कभी‑कभी दंगे तक भड़क सकते हैं।
देश की आंतरिक राजनीति भी इस खेल से दूर नहीं है। चुनावों के दौरान पार्टियाँ अक्सर विरोधी को ‘धोखा देने वाला’ या ‘असंवैधानिक’ कह कर मतदाताओं में डर पैदा करती हैं। इससे लोग अपनी वोटिंग पैटर्न बदलते हैं, जो कि साइकॉलॉजिकल युद्ध का ही एक रूप है।
पहला कदम – स्रोत जांचें। अगर कोई खबर बहुत तेज़ी से फैल रही हो, तो उसका असली स्रोत देखें। सरकारी या भरोसेमंद मीडिया से ही जानकारी लीजिए। दूसरे, भावनात्मक प्रतिक्रिया न दें। जब आप गुस्सा या डर महसूस करें, तो एक बार रुक कर सोचें कि क्या यह तथ्य है या सिर्फ मनोवैज्ञानिक खेल।
तीसरा, विविध दृष्टिकोण सुनें। एक ही कहानी को दो‑तीन अलग-अलग माध्यमों से पढ़ें। इससे आपको पूरी तस्वीर मिलती है और किसी पक्ष की झुंझलियों से बचा जा सकता है। चौथा, सोशल मीडिया पर शेयर करने से पहले खुद जांच लें। अक्सर ‘ट्रेंडिंग’ पोस्ट्स में बहुत भावनात्मक शब्द होते हैं जो लोगों को जल्दी‑जल्दी राय बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
अंत में, अपने आसपास के लोगों को भी इन टिप्स बताइए। जब समुदाय स्तर पर साक्षरता बढ़ेगी तो साइकॉलॉजिकल युद्ध का असर कम होगा। याद रखें, जानकारी शक्ति है, लेकिन सही जानकारी ही आपको मजबूत बनाती है।
दक्षिण कोरिया की सेना ने उत्तर कोरिया को लक्षित करने वाले चौबीसों घंटे लाउडस्पीकर प्रसारण फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। यह कदम साइकोलॉजिकल युद्ध में महत्वपूर्ण वृद्धि के रूप में देखा जा रहा है, जहां दोनों देशों के बीच दशकों से तनाव जारी है।
पढ़ना