अगर आप खेल देखना पसंद करते हैं तो आपने ‘VAR’ शब्द सुना होगा. ये एक ऐसी तकनीक है जो रिफ़ेरी को सही फैसला लेने में मदद करती है. बहुत से लोग इसे जटिल समझते हैं, लेकिन असल में यह सिर्फ कैमरों और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके फुटबॉल या क्रिकेट में गलती को ठीक करने का तरीका है.
VAR यानी Video Assistant Referee. मैच के दौरान जब रिफ़ेरी कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेता है – जैसे गोल, पेनल्टी, रेड कार्ड या ओफ़साइड – तो VAR टीम स्क्रीन पर वही सीन दोबारा देखती है. अगर उन्हें लगता है कि फैसला गलत है, तो वे मुख्य रिफ़ेरी को संकेत देते हैं और सही फैसला करने का मौका देते हैं.
तकनीकी तौर पर पाँच कैमरे अलग‑अलग एंगल से फुटेज रिकॉर्ड करते हैं, फिर एक विशेष सॉफ़्टवेयर उनके बीच तुलना करता है. इससे निर्णय जल्दी और सटीक होते हैं. यही कारण है कि आज के कई बड़े टूर्नामेंट में VAR अनिवार्य हो गया है.
भारत ने भी इस तकनीक को अपनाया है, खासकर अंतरराष्ट्रीय मैचों और भारतीय सुपर लीग (ISL) में. 2025 की ISL सीज़न में कई बार VAR ने गोल को रिवर्स किया, जिससे टीमों का स्कोर बदल गया. इसी तरह क्रिकेट में भी कुछ महत्त्वपूर्ण मैचों में वीडियो रेफ़री का प्रयोग हुआ – जैसे भारत बनाम इंग्लैंड के T20I में विवादास्पद आउट‑ऑफ़‑बॉल को ठीक करने में VAR ने मदद की.
भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की खबरें पढ़ते समय भी हमने देखा कि इस समझौते से खेल उपकरणों पर टैक्स कम होगा, जिससे VAR जैसे हाई‑टेक गैजेट्स सस्ते हो सकते हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि भविष्य में छोटे क्लब भी VAR को अपना सकेंगे.
आप अगर किसी मैच के दौरान रिफ़ेरी का फैसला समझ नहीं पा रहे हों तो याद रखें: कैमरा और स्क्रीन आपके लिए मौजूद हैं. अक्सर आप लाइव स्ट्रीम पर ‘Replay’ बटन देखकर खुद देख सकते हैं कि क्या हुआ.
VAR की सबसे बड़ी ख़ास बात ये है कि यह खेल को फेयर बनाता है, लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि इससे गेम का रफ़्तार धीमा हो जाता है. अगर आप ऐसा महसूस करते हैं तो इसे समझना आसान है – हर बार जब रेफ़री को सिग्नल मिलता है, वो तुरंत एक छोटे ब्रेक लेता है और फिर खेल जारी रखता है.
सारांश में, VAR सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि खिलाड़ियों, दर्शकों और रिफ़ेरी के बीच भरोसा बनाने का साधन है. इसे सही तरह से इस्तेमाल करने पर मैचों की क्वालिटी बढ़ती है और फैंसी भी बनते हैं. अगली बार जब आप फुटबॉल या क्रिकेट देखें, तो ‘VAR’ शब्द सुनकर यह सोचें कि पीछे कितनी मेहनत और तकनीक काम कर रही है.
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मैनचेस्टर यूनाइटेड ने 2-0 से पीछे रहने के बाद एवरटन के खिलाफ 2-2 की बराबरी हासिल की। ब्रूनो फर्नांडिस और मैनुएल उगार्टे ने दूसरे हाफ में गोल किए, जबकि एवरटन की लेट पेनल्टी VAR द्वारा उलट दी गई। फर्नांडिस का एवरटन के खिलाफ शानदार रिकॉर्ड रहा है वहीं यूनाइटेड ने इस सीज़न में कोनों से 11 गोल खाए हैं।
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