बिहार विधानसभा चुनाव 2025: वोटर आईडी के बिना वोट डालने के लिए 12 मान्य दस्तावेज

नवंबर 3, 2025 10 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

बिहार के 7.43 करोड़ वोटरों के लिए चुनाव आयोग का एक बड़ा फैसला आया है — वोटर आईडी कार्ड के बिना भी वोट डालना संभव हो गया है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार, 3 नवंबर 2025 को जारी निर्देशों में स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग ऑफ इंडिया ने 12 वैकल्पिक पहचान दस्तावेजों को मान्यता दे दी है, जिन्हें पोलिंग स्टेशन पर पेश किया जा सकता है। ये निर्देश बिहार के 90,712 मतदान केंद्रों पर लागू होंगे, जहाँ हर वोटर की पहचान अब एक अलग तरह से होगी — न कि सिर्फ एक कार्ड के आधार पर।

कौन-से 12 दस्तावेज मान्य हैं?

चुनाव आयोग ने जो दस्तावेजों की सूची जारी की है, उसमें आम लोगों के पास अक्सर मौजूद दस्तावेज शामिल हैं। इनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, नौकरी की पहचान पत्र, पासपोर्ट, डाकघर बचत खाता पुस्तिका, स्वास्थ्य बीमा कार्ड, विद्युत बिल, टेलीफोन बिल, नगर निगम का जमा पत्र और जिला प्रशासन द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र शामिल हैं। ये सभी दस्तावेज सरकारी जारी किए गए हैं, और इनमें नाम, फोटो और पता जरूर होना चाहिए।

इसका मतलब ये नहीं कि वोटर आईडी कार्ड अब बेकार हो गया है — बल्कि ये एक बड़ा राहत का कदम है। कई ग्रामीण इलाकों में लाखों लोगों के पास वोटर आईडी नहीं होती, लेकिन आधार या राशन कार्ड जरूर होता है। अब ये लोग अपनी आवाज देने के लिए बाहर आ सकते हैं।

पुरदानशीन महिलाओं के लिए खास व्यवस्था

यहाँ एक और बड़ी बात है — चुनाव आयोग ने पुरदानशीन महिलाओं के लिए खास निर्देश जारी किए हैं। जो महिलाएँ बुर्का या पर्दा पहनती हैं, उनकी पहचान केवल महिला पोलिंग अधिकारियों द्वारा निजता के साथ की जाएगी। कोई पुरुष अधिकारी उनके पास नहीं जा सकता। ये व्यवस्था न सिर्फ नियम के तहत है, बल्कि समाज की आदतों को समझते हुए बनाई गई है। इसके बाद भी कई गाँवों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।

�िव्यांगों के लिए एक्सेसिबल सुविधाएँ

आंखों की बीमारी वाले मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने ब्रेल फीचर वाले वोटर इन्फॉर्मेशन स्लिप्स जारी किए हैं। ये स्लिप्स पोलिंग स्टेशन पर उपलब्ध होंगे, और वे अपने साथ कोई विश्वसनीय व्यक्ति ले आ सकते हैं — जैसा कि नियम 49एन के तहत अनुमति है। ये बदलाव न सिर्फ न्याय का संकेत है, बल्कि एक ऐसा विश्वास भी है कि हर वोटर का अधिकार समान है।

52.3 लाख वोटर अनुपलब्ध — क्यों और कैसे?

चुनाव आयोग की विशेष तीव्र संशोधन (SIR) की प्रक्रिया में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है — बिहार में 52.3 लाख वोटर (कुल 7.89 करोड़ वोटरों में से 6.62%) को उनके दर्ज किए गए पते पर नहीं मिला पाया गया। ये वोटर तीन श्रेणियों में आते हैं: डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन, जिन्होंने अपना घर बदल दिया, या जो मर चुके हैं।

बूथ स्तरीय अधिकारी (BLOs) ने दर-दर घर-घर जाकर इन वोटरों की सूची तैयार की है। अब पोलिंग ऑफिसर्स को इन वोटरों की पहचान दो बार जांचनी होगी। ये कार्रवाई चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है — लेकिन यह भी एक अवसर है। जब एक वोटर की पहचान गलत होती है, तो वोट फर्जी हो सकता है। अब ये प्रक्रिया उसे रोकने के लिए बनाई गई है।

चुनाव के लिए अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था

बिहार के हर एक पोलिंग स्टेशन पर वेबकास्टिंग होगी। यह एक ऐसा कदम है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया। यह व्यवस्था भ्रष्टाचार और वोट बैंकिंग को रोकने के लिए है। साथ ही, c-VIGIL मोबाइल ऐप और 1950 हेल्पलाइन के जरिए लोग तुरंत शिकायत दर्ज कर सकते हैं — और उनकी शिकायत की स्थिति भी ट्रैक कर सकते हैं।

पोलिंग रूम में मोबाइल फोन प्रतिबंधित हैं। केवल चुनाव अधिकारी ही अपने ऑफिशियल डिवाइस ले जा सकते हैं। दूरदराज के इलाकों में घोड़ों और नावों के जरिए गश्त बढ़ाई गई है। ये सब कुछ एक उद्देश्य के लिए — चुनाव को निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित बनाना।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और विवाद

इस सबके बीच एक तनावपूर्ण मुद्दा है — चुनाव आयोग ने 2003 के बाद दर्ज किए गए हर वोटर को अपना जन्म स्थान और तारीख साबित करने के लिए दस्तावेज देने को कहा है। यह बात राजनीतिक दलों के लिए एक चुनौती बन गई है। कुछ नेता कह रहे हैं कि यह नागरिकता की जांच का एक तरीका है, जो गरीब और अशिक्षित वर्गों को निशाना बना रहा है। लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक अप्रत्याशित वोटर रजिस्ट्रेशन को साफ करने का तरीका है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को रोकने की अपील को खारिज कर दिया है। यह एक बड़ा निर्णय है — जिसने चुनाव आयोग को आगे बढ़ने की अनुमति दी।

वोटर गाइड: हर घर में एक सूचना पत्र

अब हर वोटर के घर में एक वोटर गाइड पहुँचेगा — हिंदी, अंग्रेजी या स्थानीय भाषा में। इसमें चुनाव तिथि, बीएलओ के संपर्क, वेबसाइट, हेल्पलाइन नंबर, और वोटिंग के लिए आवश्यक दस्तावेजों की सूची शामिल होगी। ये न सिर्फ जानकारी देता है, बल्कि वोटर को एक साथ लाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या बिना वोटर आईडी कार्ड के वोट डालना संभव है?

हाँ, चुनाव आयोग ने 12 वैकल्पिक दस्तावेजों को मान्यता दे दी है, जिनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और राशन कार्ड शामिल हैं। इनमें से कोई भी एक दस्तावेज पोलिंग स्टेशन पर पेश करने पर वोट डाला जा सकता है, बशर्ते उस पर नाम, फोटो और पता मौजूद हो।

पुरदानशीन महिलाओं को वोटिंग में कैसे मदद मिल रही है?

पुरदानशीन महिलाओं की पहचान केवल महिला पोलिंग अधिकारी द्वारा निजता के साथ की जाएगी। कोई पुरुष अधिकारी उनके पास नहीं जा सकता। यह व्यवस्था उनकी सामाजिक आदतों को समझते हुए बनाई गई है, जिससे उनकी भागीदारी बढ़ेगी और वोटिंग डर के बजाय आत्मविश्वास से होगी।

52.3 लाख वोटर क्यों अनुपलब्ध हैं?

ये वोटर तीन श्रेणियों में आते हैं — डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन, जो अपना घर बदल चुके हैं, या जो मर चुके हैं। बूथ स्तरीय अधिकारी ने दर-दर घर-घर जाकर इनकी सूची बनाई है। अब इन वोटरों की पहचान दो बार जांची जाएगी, ताकि फर्जी वोटिंग रोकी जा सके।

c-VIGIL ऐप कैसे काम करता है?

c-VIGIL ऐप के जरिए कोई भी वोटर चुनाव के दौरान अनियमितता की शिकायत तुरंत दर्ज कर सकता है। ऐप उस शिकायत को रियल-टाइम में ट्रैक करता है और चुनाव आयोग को नोटिफिकेशन भेजता है। यह ऐप भ्रष्टाचार और वोट बैंकिंग को रोकने का एक शक्तिशाली उपकरण है।

2003 के बाद दर्ज किए गए वोटर्स को क्यों जन्म प्रमाण देना होगा?

चुनाव आयोग का दावा है कि यह नियम गलत या फर्जी रजिस्ट्रेशन को साफ करने के लिए है। कुछ नेता इसे नागरिकता की जांच का रूप बता रहे हैं, लेकिन आयोग कहता है कि यह सिर्फ वोटर रजिस्टर की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए है — जिससे चुनाव का विश्वास बना रहे।

क्या मोबाइल फोन पोलिंग बूथ में ले जाने की अनुमति है?

नहीं, पोलिंग रूम में किसी के पास मोबाइल फोन नहीं हो सकता। यह नियम वोटिंग के दौरान भ्रष्टाचार, फोटो लेने या दबाव डालने को रोकने के लिए है। केवल चुनाव अधिकारी ही अपने ऑफिशियल डिवाइस ले जा सकते हैं।

10 जवाब

Srujana Oruganti
Srujana Oruganti नवंबर 4, 2025 AT 00:43

ये सब बकवास है। आधार कार्ड भी नहीं है तो वोट कैसे डालेंगे? जिनके पास है वो तो पहले से वोट डाल रहे हैं। बस एक नया बहाना बना दिया।

Pranav s
Pranav s नवंबर 4, 2025 AT 07:48

abhi tak koi bhi voter id nahi dikhaya phir bhi vote kiya hai... ab ye sab formalities kyun? bas vote ka maza hi khatam ho rha hai

Ali Zeeshan Javed
Ali Zeeshan Javed नवंबर 6, 2025 AT 05:36

ye toh accha hai... jahan tak main dekha, rural areas mein jinke paas ration card ya aadhaar hai, unke liye ye bahut help hogi. pichle elections mein bhi kai log vote nahi kar paaye kyun ki voter id nahi thi. ab thoda toh samajh aaya hai.

Žééshañ Khan
Žééshañ Khan नवंबर 7, 2025 AT 15:28

यह निर्णय अत्यंत उचित है। वोटर रजिस्ट्रेशन की शुद्धता के लिए दस्तावेजों की आवश्यकता है। यह कोई नागरिकता परीक्षा नहीं है। यह न्याय की बात है।

ritesh srivastav
ritesh srivastav नवंबर 8, 2025 AT 21:06

ये सब गैर-भारतीयों के लिए रास्ता खोल रहा है। बिहार में बाहरी लोगों को वोट देने की इजाजत देना देश के खिलाफ षड्यंत्र है। ये आधार कार्ड से वोट देने की अनुमति देने का मतलब है कि कोई भी आकर वोट कर सकता है।

sumit dhamija
sumit dhamija नवंबर 10, 2025 AT 13:49

इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिन लोगों के पास आधार या राशन कार्ड है, उनकी पहचान भी असली होनी चाहिए। बस दस्तावेज दिखाने से काम नहीं चलेगा। असली जांच की जरूरत है।

Aditya Ingale
Aditya Ingale नवंबर 12, 2025 AT 07:32

ये वाला c-VIGIL ऐप तो बिल्कुल जबरदस्त है! अब कोई भी चुनाव में धोखा नहीं दे सकता। बस फोन उठाओ, फोटो लो, ऐप पर डाल दो। और बस! आयोग तुरंत आ जाता है। ये तो डिजिटल जुगाड़ है भाई!

Aarya Editz
Aarya Editz नवंबर 13, 2025 AT 13:00

एक लोकतंत्र में हर व्यक्ति का अधिकार समान होना चाहिए। यदि कोई वोटर अपने दस्तावेजों के आधार पर वोट कर सकता है, तो यह न्याय का एक बड़ा कदम है। यह विश्वास का निर्माण करता है कि आवाज सुनी जा रही है।

Prathamesh Potnis
Prathamesh Potnis नवंबर 15, 2025 AT 04:41

पुरदानशीन महिलाओं के लिए महिला अधिकारी की व्यवस्था बहुत अच्छी है। यह समाज की संस्कृति का सम्मान करता है। यह एक छोटा सा कदम है लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है।

Sita De savona
Sita De savona नवंबर 16, 2025 AT 21:52

अब तो वोटर आईडी के बिना वोट डालना संभव है... लेकिन अगर कोई बिना बालों के वोट डालने की अनुमति दे दे तो क्या होगा? 😏

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