हaryana Steelers के उप‑कप्तान राहुल सेटपाल ने 2025 की प्रो किडनॉक्स लीग (PKL) में शानदार खेल दिखाया है। डिफेंस में उनका तेज़ फुर्ती, एंटी‑टैकल तकनीक और कोर्ट के किसी भी कोने को पढ़ने की क्षमता टीम को कई महत्वपूर्ण जीत दिलाने में मददगार साबित हुई। सेटपाल की कप्तानी में, स्टार्ल्स ने पिछली सीज़न का ट्रॉफी अपने पास रखने की ठोस योजना बनाई है।
टीम के कोच ने कहा है, "राहुल की रक्षात्मक फिटनेस और मानसिक दृढ़ता हमें हर मैच में एक अतिरिक्त भरोसेमंद खिलाड़ी देती है।" इस भरोसे के साथ ही, सेटपाल ने व्यक्तिगत रूप से अपनी फॉर्म को शीर्ष स्तर पर बनाए रखने के लिए विशेष प्रशिक्षण शेड्यूल अपनाया है, जिसमें जिम वर्कआउट, टैक्टिकल वीडियो विश्लेषण और तेज‑परिचालन अभ्यास शामिल हैं।
टॉर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन और लगातार फिट रहने के बाद, राहुल सेटपाल ने एशियन गेम्स 2026 में भारत के लिए खेलने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कई इंटरव्यूज़ में बताया कि भारतीय पिकलबॉल टीम को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने के लिए उनके जैसे मैदान के अंदर और बाहर दोनों पहलुओं में मजबूत खिलाड़ियों की जरूरत है।
सेटपाल के अनुसार, चयन प्रक्रिया में दो मुख्य चरण होते हैं: पहले राष्ट्रीय चयन कैंप में प्रदर्शन, फिर कोचिंग स्टाफ की अंतिम मंजूरी। उन्होंने कहा, "मैं हर दिन अपनी स्किल्स को निखारने में लगे रहता हूँ, चाहे वह बैकहैंड स्मैश हो या डिफेंस में पोजीशनिंग।" इसके तहत वे राष्ट्रीय टीम के प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं, जहाँ उन्हें अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ अभ्यास करने का मौका मिलता है।
आगामी महीनों में कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडली मैच आयोजित होंगे, जिनमें सेटपाल को अपनी फिटनेस और टीमवर्क को साबित करना होगा। अगर वह इन मैचों में निरंतर प्रभावी प्रदर्शन दे पाते हैं, तो उनका चयन एशियन गेम्स के लिए निश्चित रूप से सम्भव दिखता है।
राहुल सेटपाल के जुड़ी मेहनत, टीम के साथ सहयोग और व्यक्तिगत लक्ष्य का मिलन यह दर्शाता है कि एक खिलाड़ी कैसे अपनी व्यक्तिगत आकांक्षा को राष्ट्रीय गर्व में बदल सकता है। उनका अगला कदम है लगातार प्रदर्शन कर चयन प्रक्रिया में मजबूती लाना, ताकि वह एशियन गेम्स के बड़े मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर सके।
4 जवाब
राहुल का खेल दिखता है सिर्फ दिखावा है
वाह! राहुल सेटपाल की मेहनत देख के दिल खुश हो गया 😊 एशियन गेम्स में जरूर देखेंगे उनको, पूरे टिप्स के साथ 🙌
देखो दोस्त ये सिर्फ फिजिकल नहीं है इससे बड़ा दार्शनिक सवाल है कि खिलाड़ी का आत्म‑विश्वास कैसे इन्फिनिटी‑लूप में फीड‑बैक करता है, राहुल की परफॉर्मेंन्स को देख के यही लगता है कि अंतर्मन की गहराई में क्या छिपा है
राहुल सेटपाल की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं बल्कि एक समग्र यात्रा है जो कई पहलुओं को जोड़ती है
पहला पहलू है शारीरिक फिटनेस, जो रोज़ाना जिम में बिताए घंटे के बिना संभव नहीं
दूसरा है तकनीकी निपुणता, जिसे टैक्टिकल वीडियो से सीखते हैं और कोर्ट पर लागू करते हैं
तीसरा है मानसिक दृढ़ता, जो निरंतर आत्म‑विश्लेषण और लक्ष्य‑निर्धारण से बनती है
प्रो किडनॉक्स लीग में उनका प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि यह तीनों तत्व मिलकर एक सुदृढ़ खिलाड़ी बनाते हैं
उनकी डिफेंस में फुर्ती और एंटी‑टैकल तकनीक टीम को कई महत्वपूर्ण जीत दिलाने में मददगार रही है
कोच ने भी कहा है कि राहुल का फिटनेस स्तर टीम को अतिरिक्त भरोसा देता है
यह भरोसा सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि हर मैच में विजयी रणनीति का रूप लेता है
राहुल ने व्यक्तिगत रूप से विशेष प्रशिक्षण शेड्यूल अपनाया है, जिसमें जिम वर्कआउट, वीडियो विश्लेषण और तेज‑परिचालन अभ्यास शामिल हैं
उनका यह समग्र द्रष्टिकोण उन्हें राष्ट्रीय चयन कैंप में भी मजबूती देता है
एशियन गेम्स के लक्ष्य को पाने के लिए उन्हें दो मुख्य चरणों से गुजरना पड़ेगा, पहला राष्ट्रीय चयन कैंप में प्रदर्शन और दूसरा कोचिंग स्टाफ की मंजूरी
इन चरणों में निरंतर प्रदर्शन और फिटनेस टेस्ट में उच्च अंक आवश्यक हैं
आगामी फ्रेंडली मैच जैसे भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया और भारत बनाम चीन के मौके उन्हें अपनी क्षमता दिखाने का मंच देंगे
अगर वह इन मैचों में लगातार प्रभावी प्रदर्शन दे पाते हैं तो उनके एशियन गेम्स चयन की संभावना बहुत हद तक बढ़ जाएगी
अंत में, राहुल का समर्पण और टीमवर्क का मिश्रण यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत लक्ष्य को राष्ट्रीय गौरव में बदलना संभव है