अगर आप जम्मू‑कश्मीर की बात सुनते हैं तो उमर अब्दुल्ला का नाम ज़रूर सामने आता है। एक तरफ़ उनके राजनैतिक कदमों ने प्रदेश में बदलाव लाया, तो दूसरी तरफ़ कई बार विवाद भी बने रहे। इस लेख में हम देखते हैं कि उन्होंने किस तरह से अपनी भूमिका निभाई और आज उनका असर क्या है।
उमर अब्दुल्ला ने 2000 के दशक में राष्ट्रीय जनता दल (राष्ट्रवादी) की सीटें जामू‑कश्मीर में जीतीं। बाद में उन्होंने कांग्रेस से जुड़कर 2015 में जम्मू‑कश्मीर के उपमुख्य मंत्री बने और फिर 2016 में मुख्यमंत्री का पद संभाला। इन सालों में उन्होंने कई बुनियादी योजनाओं को आगे बढ़ाया – जैसे सड़कों की मरम्मत, बिजली पहुँचाना और स्वास्थ्य केंद्र खोलना।
उनका सबसे बड़ा लक्ष्य था प्रदेश में स्थिरता लाना, इसलिए उन्होंने कशमीरी युवाओं के लिए नौकरी बनाने पर ज़ोर दिया। कई सरकारी कॉलेजों में कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुए और छोटे‑मोटे उद्योगों को आसान ऋण मिले। इससे कुछ हद तक बेरोज़गारी घटी, लेकिन अभी भी बड़ा अंतर है।
उमर अब्दुल्ला की नीतियों ने सामाजिक क्षेत्र में हल्की सी हवा लाई। महिलाओं के लिए सुरक्षा योजना और शिक्षा स्कॉलरशिप को बढ़ावा मिला। साथ ही उन्होंने कई बार भारत‑पीआईए (पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी) से जुड़े मुद्दों पर स्पष्ट बात की, जिससे केंद्र सरकार के साथ तालमेल बेहतर हुआ।
परन्तु उनका समय विवादों से भी खाली नहीं रहा। 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद उनकी पार्टी ने विरोध किया और कई बार पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा। इस कारण उनके समर्थन में उतार‑चढ़ाव आया, खासकर युवा वर्ग में। फिर भी उन्होंने संवाद जारी रखा और शांति प्रक्रिया की जरूरत पर ज़ोर दिया।
आज उमर अब्दुल्ला राष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय हैं। वे कशमीरी मुद्दों को लेकर संसद में सवाल उठाते रहते हैं और अक्सर मीडिया में अपनी राय देते हैं। उनका मानना है कि विकास के साथ‑साथ सामाजिक संवाद भी जरूरी है, तभी प्रदेश स्थायी शांति पा सकेगा।
भविष्य की योजना में उन्होंने नई बुनियादी ढाँचा बनाने, पर्यटन को बढ़ावा देने और डिजिटल शिक्षा पर काम करने का वादा किया है। अगर इन योजनाओं को सही तरीके से लागू किया गया तो जम्मू‑कश्मीर के युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सकता है और आर्थिक स्थिति सुधर सकती है।
समाप्ति में कहें तो उमर अब्दुल्ला की कहानी अभी भी चल रही है। उनके कामों पर लोगों का नजरिया अलग‑अलग है, लेकिन यह साफ़ है कि उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। अगर आप इस विषय को और गहराई से समझना चाहते हैं, तो नवोत्पल समाचार पर बने रहें – हम लगातार अपडेट लाते रहेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री होंगे। यह बयान चुनावों की गिनती के दौरान किया गया है। एनसी-कांग्रेस गठबंधन 46 सीटों के बहुमत को पार कर रहा है। उमर अब्दुल्ला पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वे गंदरबल और बडगाम निर्वाचन क्षेत्रों में बढ़त बनाए हुए हैं।
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